
अगर आप भी देर रात तक जागते हैं तो सावधान हो जाएं। एक ताजा शोध में पता चला है कि जो लोग देर से सोते हैं, उनके मनोरोगी या फिर मानसिक बीमारी से ग्रस्त होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे लोग अपने सनक भरे विचारों पर ज्यादा नियंत्रण नहीं रख पाते।
न्यूयॉर्क, अमेरिका की बिंघैटम यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की प्रोफेसर मेरेडिथ कोल्स ने कहा, 'हमनें पाया कि गलत वक्त पर सोने पर कुछ सुनिश्चित नकारात्मक परिणाम होते हैं, इसके लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।'
इस अध्ययन में केवल 20 व्यक्तियों को ही शामिल किया गया, जिनमें ऑबसेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) की पहचान की गई थी। ओसीडी एक सामान्य पुराना मनोरोग होता है जिसके चलते इंसान रिपीटेटिव बिहैवियर (एक ही व्यवहार बार-बार करना) करता है। जबकि इसके साथ ही 10 ऐसे लोगों को लिया गया जिनमें एक सप्ताह की नींद के दौरान ओसीडी जैसे लक्षण पाए गए।
शोध में शामिल प्रतिभागियों ने स्लीप डायरीज पूरी कीं और अपने सनक भरे विचारों और व्यवहार पर उनके आत्मनियंत्रण से जुड़ी रेटिंग्स दीं।
इसके बाद शोधकर्ताओं को पता चला कि एक दिन पहले सोने के वक्त से प्रतिभागियों के अगले दिन के व्यवहार का अनुमान लगाया जा सकता है, कि वे कैसे अपने सनक भरे विचारों और कंपल्सिव बिहैवियर पर नियंत्रण रखेंगे।
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन मेडिकल स्कूल की जेसिका स्कूबर्ट कहती हैं, 'हम यह जानने में दिलचस्पी ले रहे हैं कि कैसे सोने का अनियमित वक्त मानसिक कार्यक्षमता को प्रभावित करता है।'
उन्होंने कहा, 'एक संभावना आवेगी नियंत्रण की है। यानी ऐसा कुछ जिससे आप अपने सोने के वक्त में बदलाव कर दें जिससे आपके व्यवहार और विचार को नियंत्रित करने की क्षमता कम हो जाए।'
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