शारीरिक फिटनेस के अंतर्गत दो संबंधित अवधारणाएं होती हैं : सामान्य फिटनेस (स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती की एक स्थिति) और विशिष्ट फिटनेस (खेल या व्यवसायों के विशिष्ट पहलुओं को करने की योग्यता पर आधारित कार्योन्मुखी परिभाषा). सामान्यतः शारीरिक फिटनेस व्यायाम, सही आहार और पर्याप्त आराम के द्वारा हासिल हो जाती है। यह जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बच्चो के शिक्षण में देश की सरकार और हर परिवार ने अपनी पूरी ताक़त झोंक दी है किंतु उनके शारीरिक विकास पर कितना ध्यान है इस पर विचार जरूरी है ।
वर्तमान परिस्थिति

(1) बच्चे का ज्यादातर वक़्क्त शिक्षण परफॉर्मेंस में गुजर रहा है ?
(2) स्कूल है पर गेम्स टीचर और मैदान नदारद है ?
(3) घर पर वक़्त् टी वी के सामने गुजर रहा है ?
(4) मोबाइल क्रांति से बच्चे मोबाइल गेम और अन्य व्यवस्थाओं से जुड़ रहे है ।

आजकल के युवाओं में 6 पेक का आकर्षण है और इसके लिए वे सहारा ले रहे है जिम और मेडिकेटेड फ़ूड का जिसकी शुद्धता और क्वालिटी कंट्रोल पर भारत् की भृष्ट व्यवस्था का कितना नियंत्रण है सर्वविदित है ।
आकर्षक दिखने का शौक प्राकृतिक के बजाय आर्टिफिसियल ज्यादा हो गया है क्या इससे हम स्वस्थ जीवन की परिकल्पना कर सकते है ?
दुनिया के दूसरे बड़े देश 125 करोड़ को विश्व् एथेलेटिक प्रतियोगिता में कितने मेडल मिलते है यह सर्वविदित है और जिस रैंक पर हम रहते है वही हमारी सच्चाई है इसे स्वीकारना होगा ।
स्वस्थ,दीर्घायु और समृद्ध जीवन के लिए मानसिक (बौद्धिक) विकास से ज्यादा पूर्ण शारीरिक विकास पहली प्राथमिकता है और यह प्राकृतिक वातावरण के साथ रहकर ही सम्भव है हम घर में रहकर टीवी और मोबाइल से एक परफेक्ट व्यक्ति का विकास नही कर सकते इसका छोटा सा उदाहरण है एक कुते को यदि हम बांधकर रखते है तो उसके पैर टेढ़े हो जाते है और वह कितना फिट रहता और दिखता है जिसने देखा है समझ सकता है ।
वही स्थिति हमारी जनरेशन की भी है हम बचपन से उसके फिज़िकल फिटनेस पर ध्यान नही देंगे तो उसकी बॉडी की प्रतिरोधक क्षमता कितनी विकसित होगी विचारणीय है हो सकता है हम ऐसी जनरेशन तैयार कर रहे है जो युवावस्था तक आते आते अनेक मानसिक,शारीरिक और व्यवहारिक समस्याओ से ग्रस्त है जिसका समाधान सम्भव मेडिकल साइंस के पास मानसिक तनाव के नाम पर पिल्स परोसने के अलावा कुछ भी नही है ।
अभी भी वक़्क्त है हम विचार करे हमारी जनरेशन का डेवलपमेन्ट केसा हो ?
इस लेख पर सुझाव आमंत्रित है विशेष रूप से चिकित्सक समुदाय अपने विचार जरूर प्रगट करे ।

 

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