हाल ही में किए गए एक अध्‍ययन के अनुसार, ट्रैफिक शोर के कारण हार्टअटैक पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। सड़क पर होने वाला शोर, रेल ट्रैफिक शोर, हवाईयात्रा के दौरान होने वाले शोर से व्‍यक्ति के दिल पर गहरा असर पड़ता है। हाईवे के नजदीक रहना, आपके दिल के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

अध्‍ययन के लिए, जर्मनी के प्रौद्योगिकी के ड्रेसडेन विश्‍वविद्यालय से एंड्रियास सीडलर और उनके मित्रों ने पूरे जर्मनी में कई वर्षों तक मूल्यांकन सांविधिक स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से जानकारी को प्राप्‍त किया और अध्‍ययन किया।

सेकेंडरी डेटा के इस केस-कंट्रोल स्‍टडी में, इन अध्‍ययनकर्ताओं ने पाया कि जो लोग राइन-मुख्‍य क्षेत्र में रहते थे, जहां शोर बहुत ज्‍यादा होता था, ऐसे लोगों की तादाद हार्टअटैक से मरने के कारण काफी ज्‍यादा है। यह 2005 के आंकडों के आधार पर निष्‍कर्ष निकाला गया था।

जब ऐसे सिर्फ ऐसे रोगियों पर ही 2014 और 2015 में अध्‍ययन किया गया जिनकी मृत्‍यु हार्टअटैक से हुई थी, तो शोर और दिल के दौरे का गहरा सम्‍बंध, शोधकर्ताओं को नज़र आया। इस बारे में एंड्रियास सीडलर और उनके साथियों का मानना है कि ध्‍वनि प्रदूषण का प्रभाव, सबसे ज्‍यादा व्‍यक्ति के कानों और दिल पर पड़ता है। हवाई यातायात के दौरान भी 65 डेसीबल से अधिक का शोर नहीं होना चाहिए, वरना यात्रियों को दिक्‍कत हो सकती है।

उन लोगों से इस बात के भी संकेत देखें है कि यातायात का प्रभाव, व्‍यक्ति के स्‍वास्‍थ्‍य पर भी गहरा असर डालता है। हालांकि, शोधों में अब तक सिर्फ शोर और दिल के दौरे के बारे में ही पता लगाया गया है।

यह अध्‍ययन, यूरोप भर में फैले, नोरा ((शोर-संबंधित झुंझलाहट, अनुभूति, और स्वास्थ्य) द्वारा करवाये गए एक अध्‍ययन का हिस्‍सा है। 

वेबसाइट का सदस्य बने

अधिक जानकारी भरा लेख पढ़ने के लिए वेबसाइट का सदस्य बने | कुछ जानकारियां सार्वजनिक रूप से गूगल पर नहीं दी जा सकती हैं अतः अगर आप 18+ आयु के हैं तब वेबसाइट के सदस्य बनकर अधिक गंभीर लेख पढ़ कर अपने जीवन को सुख में बना सकते हैं  Fee Rs.101/year

www.swamisir.in 18+ Membership